हरियाणा में नायब सैनी - मोहनलाल बडौली के नेतृत्व में खिला कमल

हरियाणा में नायब सैनी - मोहनलाल बडौली के नेतृत्व में खिला कमल

Haryana Election Result 2024

Haryana Election Result 2024

बडौली बोले अब तक की भाजपा की सबसे बड़ी जीत हरियाणा में टूटे कई रिकॉर्ड 
हरियाणा के इतिहास में पहली बार तीसरी बार किसी पार्टी की सरकार

अर्थ प्रकाश आदेश त्यागी
सोनीपत, 8 अक्टूबर। Haryana Election Result 2024: 
हरियाणा विधानसभा चुनाव में नायब सैनी और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडौली के नेतृत्व में पार्टी बहुमत का आंकड़ा पार पाई है। दिलचस्प बात यह है कि 2014 की मोदी लहर से ज्यादा भाजपा ने अबकी बार सीटें जीती है। 2014 में 47,  2019 में 40 और अबकी बार 49 सीटों पर पार्टी का कमल खिला है। नए सीएम - नए प्रदेशाध्यक्ष ने पूरे सूबे में पार्टी की जीत के समीकरण बदल डाले हैं। दोनों की जोड़ी ने हारी हुई बाजी को किया अपने पक्ष में किया। 

जब भी ब्राह्मण अध्यक्ष बना, भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला

अर्थ प्रकाश से विशेष बातचीत में प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल बडौली ने कहा कि हारी हुई बाजी को कैसे जीता जाता है, ये भाजपा ने साबित करके दिखा दिया। पार्टी ने सबसे पहले सरकार और फिर संगठन का चेहरा बदला और बीजेपी ने हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा रिकॉर्ड बना दिया। हरियाणा बनने के बाद ये पहला मौका है जब कोई भी पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में कामयाब हुई हो। 

बडौली समर्पित कार्यकर्ता

लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी ने सरकार के मुखिया पूर्व सी एम मनोहरलाल को हटाकर ओबीसी नायब सैनी को मुख्यमंत्री की कमान सौंपी और लोकसभा चुनाव के बाद संगठन का चेहरा बदलते हुए अपने एक समर्पित कार्यकर्ता ब्राह्मण मोहनलाल बडौली को प्रदेशाध्यक्ष बनाया। ओबीसी सी एम और ब्राह्मण प्रदेश अध्यक्ष , ये ही बीजेपी के लिए इस चुनाव में सबसे पहला ट्रंप कार्ड साबित हुआ। पार्टी के दो सच्चे सिपाही की इस जोड़ी ने कमाल किया। सी एम नायब सैनी ने अपनी छवि और अपने फैसलों से सरकार की दस साल की एंटी इंकम्बेंसी को धीरे धीरे कम किया और दूसरी तरफ कार्यकर्ताओं की नाराजगी को पार्टी के बूथ अध्यक्ष से प्रदेश अध्यक्ष तक का सफर तय करने वाले मोहनलाल बडौली ने कार्यकर्ताओं को विश्वास में लिया, सभी 90 हलकों में जाकर उनकी नाराजगी को सुना, समझा और विश्वास दिलाया कि पार्टी की रीढ़ कार्यकर्ता ही है। निष्ठावान कार्यकर्ता का परिचय देते हुए अध्यक्ष के एक निर्णय ने पूरे कार्यकर्ताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया। बडौली ने चुनाव ना लडने का निर्णय लेकर सभी कार्यकर्ताओं को संदेश दे दिया कि निजी स्वार्थ से ज्यादा पार्टी और प्रदेश हित है। बडौली के इस निर्णय की पूरे प्रदेश में तारीफ हुई और कार्यकर्ता को लगने लगा कि प्रदेश हित में पार्टी की सरकार बनना ही प्राथमिकता होनी चाहिए। ये ही वजह है कि लोकसभा चुनाव की हार से सबक लेते हुए पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सभी 20 हजार से ज्यादा बूथों पर पूरी मेहनत की और नतीजा सामने है कि आज भाजपा इतिहास रचते हुए तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। हरियाणा की राजनीति में बीजेपी और ब्राह्मण से जुड़ा एक दिलचस्प तथ्य ये भी है कि जब जब भाजपा ने ब्राह्मण प्रदेशाध्यक्ष बनाया है तब तब भाजपा की पूर्ण बहुमत से सरकार बनी है।

जब ब्राह्मण चेहरा अध्यक्ष ना होने पर पार्टी बहुमत से 6 सीट दूर रह गई 

 2014 विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी ने वरिष्ठ नेता रामबिलास शर्मा को अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी थी तो भाजपा ने 47 सीटों के साथ बहुमत की सरकार बनाई लेकिन 2019 में ब्राह्मण चेहरा अध्यक्ष ना होने पर पार्टी बहुमत से 6 सीट दूर रह गई और 40 सीट ही जीत पाई थी। लेकिन 2024 के चुनाव से पहले पार्टी ने एक बार फिर ब्राह्मण चेहरे मोहनलाल बडोली को अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी और मोहनलाल बडोली के नेतृत्व में पार्टी ने इतिहास रचते हुए अब तक की सबसे ज्यादा सीटों पर जीत हासिल कर ली। इस चुनाव से पहले भाजपा हरियाणा में कभी भी इतनी सीटें नहीं जीत पाई थी। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद भी इस प्रचंड जीत का सबसे बड़ा श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो नायब सैनी और मोहनलाल बडौली की जोड़ी को जाता है। इस जोड़ी ने विपरीत परिस्थितियों में अपनी कड़ी मेहनत और अथक प्रयासों से सारे रिकॉर्ड तोड दिए। ये जीत इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि 2014 में जब बीजेपी पहली बार 47 सीटें लेकर सत्ता में आई थी उस समय मोदी लहर सबसे बड़ा फैक्टर था लेकिन इस बार दस साल की एंटी इनकंबेंसी और लोकसभा चुनाव के नतीजों के बावजूद भी 2014 के चुनाव से ज्यादा सीटें लेकर तीसरी बार लगातार सरकार बनाना ये किसी चमत्कार से कम नहीं हैं। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि कांग्रेस को अति आत्मविश्वास और अंदरूनी गुटबाजी ले डूबी तो दूसरी तरफ भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व की प्लानिंग, कई नए चेहरों को टिकट देना, दिग्गजों की टिकट काटना और हरियाणा में सरकार और संगठन का चेहरा बदलना सबसे बड़ा मास्टर स्ट्रोक रहा।

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